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मंगलवार, 31 जनवरी 2017

विराट कोहली से आगे निकला ये अफगानी खिलाड़ी

मोहम्मद शहज़ाद
आप सोच रहे होंगे कि कहाँ विराट कोहली और कहाँ छोटे देश अफगानिस्तान का खिलाड़ी। लेकिन ये सच है। अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के धाकड़ बल्लेबाज और विकेटकीपर मोहम्मद शहजाद टी20 मैचों के कई मामलों में कोहली से कहीं आगे हैं। मुझे याद है 2016 का टी20 वर्ल्ड कप। जो भारत में खेला गया था। साउथ अफ्रीका और अफगानिस्तान का मैच चल रहा था। अफ्रीकन टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 209 रन बनाए थे। लक्ष्य का पीछा करते हुए अफगानिस्तान मैच जरूर हार गया था लेकिन एक समय उसके खिलाड़ियों ने अफ्रीका को भी सकते में डाल दिया था। बड़े स्कोर का पीछा करते हुए अफगानिस्तान की टीम ने शुरुआती 3.5 गेंद में 52 रन बना लिए थे। मोहम्मद शहजाद ने इनमें से 44 रन बनाए थे वो भी मात्र 19 गेंदों में। इसमें पांच गगनचुम्बी छक्के भी शामिल हैं। इस वर्ल्ड कप का विजेता रहा वेस्टइंडीज अफगानिस्तान से एक मैच हार गया था।
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अभी हाल के ही दिनों में आईसीसी ने दुबई में डेजर्ट टी20 टूर्नामेंट का आयोजन कराया। अफगानिस्तान ने आयरलैंड को हराकर ख़िताब अपने नाम कर लिया। इसी टूर्नामेंट में शहजाद ने कई रिकॉर्ड बनाये। शहजाद ने एक ही दिन दो अर्धशतक लगाया, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। शहज़ाद ने पहले तो सेमीफाइनल में ओमान के खिलाफ 60 गेंदों में 80 रन बनाये, जिसमें से 50 रन तो बस चौके-छक्कों से बने। उसी दिन खेले गए फाइनल में शहज़ाद ने आयरलैंड के खिलाफ 40 गेंदों में 50 रन बनाये और वर्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। शहज़ाद को मैन ऑफ दी टूर्नामेंट भी चुना गया।
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अब बात करते हैं कोहली से आगे कैसे हैं शहज़ाद। दरअसल इस टूर्नामेंट में शहज़ाद ने 4 हाफ सेंचुरी लगाया जो किसी भी आईसीसी टी20 टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा है। पहले ये रिकॉर्ड कोहली के नाम था जिन्होंने आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप 2016 में तीन हाफ सेंचुरी जड़ा था। यही नहीं टी20 में 6 रन मारने में भी शहज़ाद कोहली से आगे हैं। शहज़ाद अपने 55 टी20 मैचों में 60 छक्के मार चुके हैं जबकि कोहली 47 मैचों में 40 छक्के ही लगा पाये हैं। चौका मारने में भी कोहली शहज़ाद से पीछे हैं। अपने इतने ही मैचों में शहज़ाद अभी तक 187 बार गेंद को सीमा रेखा से बाहर भेज चुके हैं जबकि कोहली अभी तक 182 बार ही ऐसा कर सके हैं। शहज़ाद का स्ट्राइक रेट 136.63 का है जबकि कोहली का 135.04 ही है। 

शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

टिकने वाला नहीं, पीटने वाला बल्लेबाज चाहिए

टी20 में गेंदबाजों के लिए ज्यादा कुछ होता नहीं। ऐसे में अगर आपकी टीम 147 रन ही बना पाती है तो ऐसे स्कोर को डिफेंड करना गेंदबाजों के लिए मुश्किल भरा काम है। इंग्लैंड की टीम पिछले कुछ सालों से टेस्ट की अपेक्षा वनडे और 20-20 में अच्छा खेल रही है। इसी टीम ने पिछले साल भारत में खेले गए टी20 वर्ल्डकप में वेस्टइंडीज के खिलाफ 230 रनों का पीछा आसानी से कर लिया था। कल के मैच में भारत क्यों हारा, इसके कई कारण है। बल्लेबाजों का न चलना, बुमराह का महंगा ओवर आदि। लेकिन हारने का प्रमुख कारण को मुझे लगा वो ये है कि भारतीय टीम का पॉवरप्ले में स्लो बैटिंग करना। शुरूआती 6 ओवर में भारत का एक ही विकेट गिरा था, फिर भी 47 रन ही बन पाए।
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2016 से अब तक भारत ने कुल 21 टी20 मैच खेले हैं। जिनमे में 16 में उसे जीत मिली है। इस तरह देखा जाए तो भारतीय टीम का इस फॉर्मेट में परफॉर्मेन्स शानदार रहा है। लेकिन, चिंता की बात है टीम का पॉवरप्ले में रन न बनाना। ये आश्चर्जनक है कि इन 21 मैचों में भारत ने मात्र 6 बार ही पॉवरप्ले में 50 या उससे अधिक रन बनाये हैं । 6 में 4 बार पहले बैटिंग करते हुए 50 या उससे ज्यादा रन बने हैं। इस दौरान पॉवरप्ले में भारत का उच्चतम स्कोर 74 रन रहा जो उसने रन का पीछा करते हुए बनाये। वहीं पॉवरप्ले के दौरान पिछले वर्ष साउथ अफ्रीका ने 88, इंग्लैंड ने 89 और ऑस्ट्रेलिया ने 74 रन बनाये। जिन 6 मैचों में भारत 50 या ज्यादा रन बना सका है, उनमें दो बार ही ऐसा हुआ है कि इस दौरान भारत का कोई विकेट गिरा हो। 4 बार बिना विकेट गंवाए भारत ने 50 या ज्यादा रन बनाए।
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भारतीय टीम पॉवरप्ले का फायदा नहीं उठा पा रही। इसका बड़ा कारण नियमित ओपनर का न होना भी है। लेकिन, जो मौजूदा विकल्प उपलब्ध है, उनमें सहवाग, गेल, वार्नर या मैकुलम जैसा विस्फोटक बल्लेबाज नहीं है जो टीम को तेज शुरुआत दे सके। इन 21 मैचों में 2 बार ही पॉवरप्ले में भारत 70 या उससे अधिक रन बना पाया है। अगर टी20 के फॉर्मेट में भारत को फिट होना है तो टीम में एक या दो विस्फोटक बल्लेबाज रखने ही होंगे, जो गेंद हिट कर सके और तेजी से रन बना सके। इस छोटे प्रारूप के लिए टिकने वाला नहीं पीटने वाला बल्लेबाज चाहिए।

पिछले 21 मैचों में पॉवरप्ले के दौरान भारत का स्कोर कार्ड देखिये-
50/0, 54/1, 40/3, 70/0, 31/2, 74/1, 35/1, 21/3, 37/2, 43/1, 48/1, 29/4, 28/3, 42/1, 37/2, 55/0, 44/2, 37/0, 29/3, 67/2, 47/1

बुधवार, 25 जनवरी 2017

यदि आप कीमत चुकाने को तैयार हों तो आप कुछ भी पा सकते हैं




कोहली #विन्से #लोम्बार्डी

अमेरिका के भूतपूर्व महान फुटबॉलर विन्से लोम्बार्डी से एक बार जब पत्रकारों ने उनकी सफलता के बारे में पूछा था तो उनका जवाब ये था----------------------
Dictionary is the only place that success comes before work. Hard work is the price we must pay for success. I think you can accomplish anything if you’re willing to pay the price. अर्थात शब्दकोष ही एक ऐसी जगह है जहाँ  ‘सक्सेस ’ ‘वर्क’ से पहले आता है .कठिन परिश्रम वो  कीमत है जो हमें सफलता के लिए चुकानी पड़ती है. मुझे लगता है कि यदि आप कीमत चुकाने को तैयार हों तो  आप कुछ भी पा सकते हैं.
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विराट कोहली के खेल की चर्चा इस समय पूरी दुनिया में है। एक के बाद एक जिस तरह के कीर्तिमान उनके बल्ले से निकल रहे हैं, ऐसा भी हो सकता है कि क्रिकेट के सभी कीर्तिमान उनके ही नाम हो जायें। ये तो बात रही उनके खेल की, कोहली के जीवन का एक दूसरा पहलू भी है, और वो है अनुशासन और कठिन परिश्रम। क्योंकि आप सर्वश्रेठ तभी बन सकते हैं जब उसके लिए आप कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हों। दारू, सिगरेट से दूर रहने वाले कोहली रोजाना जिम में घंटों बिताते हैं। खाने में चावल तक नहीं खाते, जंक फूड को हाथ नहीं लगाते। कोहली के कठिन परिश्रम का असर उनके खेल में आसानी से देखा जा सकता है। इन्हीं अनुशासनों की वजह से कोहली का फिटनेस जबरदस्त है, जो किसी भी उदयीमान खिलाड़ी के लिए रॉल मॉडल बन सकता है। हाल ही में इंग्लैंड के साथ ख़त्म हुए तीन मैचों में कोहली ने 61.67 के एवरेज और 106.94 के स्ट्राइक के साथ 173 गेंदों में 185 रन बनाए। रन बनाने के मामले में कोहली श्रृंखला में चौथे नंबर पर रहे और बाउंड्रीज के मामले में भी। लेकिन, दौड़कर रन के मामले में वे आगे रहे। कोहली ने 185 रनों में 83 रन दौड़कर बनाये, जिसमे 9 डबल रहे। कोहली की रनिंग बिटवीन दी विकेट फिटनेस पर किये गए उनके परिश्रम को दर्शाती है।

रविवार, 5 जून 2016

मुगुरुजा से हार का जश्न तो सेरेना ने भी मनाया



सीन-1
वो दिन 7 जुलाई 2015 का था। जब एक 21 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी 33 वर्षीय दुनिया की नंबर एक और 20 ग्रैंड स्लैम जीत चुकी खिलाड़ी से विम्बलंडन फाइनल खेलने की तैयारी कर रही थी। उस 19 वर्षीय खिलाड़ी के मन में कहीं भी डर नहीं था। मैच से ठीक पहले जब उससे पूछा गया कि आपको हारने का डर तो नहीं उसने कहा कि किसने सोचा था कि फाइनल 20वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी टॉप सीड खिलाड़ी से खेलेगी। इसलिए हारने का डर तो नहीं है, मै सिर्फ जीतने आई हूं। 
21 वर्षीय वो खिलाड़ी अनुभव और ताकत के सामने कहीं भी टिक नहीं पाई और उसे फाइनल में 6-4, 6-4 से सीधे सेटों में हार का सामना करना पड़ा।
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सीन-2
लगभग एक साल बाद। दिन 4 जून 2016 का। साल के पहला ग्रैंड स्लैम, फ्रेंच ओपन। 21 वर्षीय वो खिलाड़ी अब 22 की है और 33 वर्षीय अब 34 की। दोनों फिर फाइनल में आमने सामने हैं। स्पेन की ये 22 वर्षीय खिलाड़ी गरबाईन मुगुरुजा विश्व की नंबर एक खिलाड़ी सेरेना विलियम्स से इस बार भी जीतने ही आयी है। लड़ाई अपने 22 ग्रैंड स्लैम और पहले ग्रैंड स्लैम के लिए थी। सेरेना 22वां ग्रैंड स्लैम जीतकर स्टेफी ग्राफ की बराबरी करना चाहती थीं तो वहीँ मुगुरुजा 1998 के बाद अपने देश स्पेन की पहली महिला ग्रैंड स्लैम विजेता बनना चाहती थीं।
चौथी सीड मुगुरुजा ने पहली सीड की खिलाड़ी को ठीक वैसे ही हराया जैसे उसे एक साल पहले हार का सामना करना पड़ा था। मुगुरुजा ने सेरेना को सीधे सेटों में 7-5, 6-4 से हराकर 18 साल बाद अपने देश के लिए ग्रैंड स्लैम जीता। मैच की सबसे खास बात ये रही कि सेरेना ने मुगुरुजा की जीत का जश्न भी मनाया, तालियों से उनकी जीत का अभिवादन किया।

रविवार, 1 नवंबर 2015

नंबर तीन के शहन्शाह तो कोहली ही हैं

पिछले दिनों साउथ अफ्रीका और भारत के बीच खेले गए एकदिवसीय श्रृंखला के दौरान भारतीय खेमे में बल्ल्लेबाजी क्रम को लेकर काफी उहोपोह की स्थिति देखी गई। शुरुआती दो मैचों में नंबर तीन पर अजिंक्य रहाणे को कप्तान ने मौका दिया। रहाणे ने मौके को बखूबी भुनाया भी और लगातार दो अद्र्धशतक भी लगाए। लेकिन नंबर तीन से कोहली को नंबर चार पर खिलाने का टीम मैनेजमेंट की चारों ओर आलोचना भी हुई। इसके बाद तीसरे मौच से कोहली को वापस नबंर तीन पर खिलाया गया और  खराब फॉर्म से जूझ रहे कोहली ने ७७ रन की पारी खेलकर फॉर्म में वापसी के संकेत दिए। और चौथे मैच में जब टीम को जीत की सख्त आवश्यकता थी कोहली ने शानदार १३८ रन बनाए और टीम की जीत सुनिश्चित की। ऐसे में कोहली की इस पारी ने फिर साबित कर दिया कि नंब
र तीन पर उनसे बेहतर खिलाड़ी कोई और नहीं है। बात सिर्फ भारत की ही नहीं वरन पूरे वल्र्ड क्रिकेट की भी की जाए तो एकदिवसीय क्रिकेट इतिहास में नंबर तीन पर कोहली से बेहतर न कोई है और न था। ये मै नहीं खुद कोहली का क्रिकेट कह रहा है। आंकड़े की खुद गवाही दे रहे हैं।
वनडे क्रिकेट में नंबर तीन पर खेलने वाले चोटी के तीन खिलाडिय़ों की बात की जाए तो इसमें रिकी पोंटिंग, कुमार संगाकारा और विराट कोहली हैं। वहीं अगर तीनों खिलाडिय़ों के बीच तुलना की जाए तो कोहली अन्य दोनों खिलाडिय़ों से काफी आगे हैं।  नजर डालते हैं नंबर तीन पर खेलते हुए तीनों खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर-

विराट कोहली
मैच- १०८
रन-४७४२
शतक-१६
अर्धशतक -२४
एवरेज-५०.९८
स्ट्राइक रेट-९०.१०
हाईएस्ट स्कोर-१८३

रिकी पोंटिंग-
मैच- ३३५
रन-१२६६२
शतक-२९
अर्धशतक -७४
एवरेज-४२.४८
स्ट्राइक रेट-८०.७३
हाईएस्ट स्कोर-१६४

कुमार संगकारा
मैच- २४३
रन-९४४७
शतक-१८
अर्धशतक  -६६
एवरेज-४७.७१
स्ट्राइक रेट-८०.५०
हाईएस्ट स्कोर-१६९

बुधवार, 27 मई 2015

युवाओं के खेल में उम्रदराजों का बोलबाला

टी-20 को शुरू से ही युवाओं का खेल कहा जाता रहा है। जब इसकी शुरुआत हुई तो बहुत से सीनियर खिलाड़ियों ने किक्रेट के इस छोटे फॉर्मेट से किनारा कर लिया। 2007 में पहले टी-20 वर्ल्ड में भारतीय टीम से द्रविड़, तेंदुलकर, जहीर खान जैसे सीनियर प्लेयरों ने खेलने से ये कहते हुए मना कर दिया कि ये युवाओं का खेल है। टी-20 को बस युवाओं का ही खेल कहना हास्यास्पद लगता है। 2014के टी-20 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी टीम में ब्रेड हॉज और ब्रेड हॉग जैसे उम्रदराज खिलाड़ियों का चयन करके सबको चौंका दिया था। मतलब साफ है कि अनुभव और परिपक्वता क्रिकेट के हर फॉर्मेट में काम आता है।
अब बात करते हैं आईपीएल-8 का। इस बार के आईपीएल में जहां कई युवाओं ने बेहतरीन खेल दिखाया तो वहीं उम्रदराज खिलाड़ी भी किसी से पीछे नहीं रहे। आशीष नेहरा (35), ब्रेड हॉग (44), प्रवीण तांबे (43), वीरेंद्र सहवाग (36), माइकल हसी (39), जहीर खान (36), हरभजन सिंह (34), क्रिस गेल (35), इमरान ताहिर (36), अजहर महमूद (40) आदि को प्रमुख रुप से उम्रदराजों की श्रेणी में रखा जा सकता है। वहीं अगर इनके प्रदर्शन की बात की जाए तो जहां कुछ ने तो युवओं को पीछे छोड़ दिया तो कुछ कम मौके मिलने के बावजूद छाप छोड़ने में सफल रहे। इन  खिलाड़ियों में अगर सबसे ज्यादा किसी ने प्रभावित किया तो वो हैं आशीष नेहरा। नेहरा ने आईपीएल के सीजन-8 में 16 मैचों में 20.40 के एवरेज से 22 विकेट झटके। इस तरह सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में नेहरा चौथे स्थान पर रहें, इस दौरान उनका इकोनॉमी मात्र  7.24 रहा जो ऊपर के तीन गेंदबाजों से बेहतर रहा । वहीं आईपीएल के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी ब्रेड हॉग ने भले ही 6 मैच खेले हों लेकिन उनके प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया। 6 मैचों में 9 विकेट झटकने वाले हॉग ने चेन्नई के खिलाफ एक ही मैच में 29 रन देकर 4 विकेट लिया था। 6 मैचों में हॉग ने मात्र 6.85 के इकोनॉमी से रन खर्च किए। इस बार भी आईपीएल में सबसे छक्के उड़ाने वाले क्रिस गेल को भला कौन भूल सकता है। गेल में इस सीजन में 14 मैचों में 46 के एवरेज से 491 रन में जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ 117 रहा। इस दौरान गेल का स्ट्राइक रेट 147 के ऊपर का रहा जो किसी भी युवा खिलाड़ी को आश्चर्य में डाल सकता है। इसी तरह हरभजन सिंह का प्रदर्शन भी चौंकाने वाला रहा। हरभजन ने 15 मैचों में 24 के एवरेज से न सिर्फ 18 विकेट लिया बल्कि पंजाब के खिलाफ एक मैच में मात्र 19 गेंद में हाफ सेंचुरी भी लगाया । हरभजन के इसी प्रदर्शन को आधार मानकर उनकी भारतीय टेस्ट में वासपी भी हुई। इसी तरह माइकल हसी, वीरेंद्र सहवाग, प्रवीण तांबे, जहर खान ने अपनी टीम के लिए कई बार उपयोगी भूमिका अदा की और अपनी टीम के लिए कारगर साबित हुए।

रविवार, 24 मई 2015

टर्मिनेटर की वापसी विदाई के लिए तो नहीं !

लगभग दो साल से बाहर चल रहे कभी भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑफ़ स्पिनर कहे जाने वाले हरभजन सिंह की वापसी आखिरकार भारतीय टीम में हो ही गई। बांग्लादेश जाने वाली टेस्ट टीम के लिए इनका चयन किया गया है। हां ये बात और है कि इसका अंदाजा शायद ही किसी को रहा हो। कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि बीसीसीआई ने उनकी विदाई के लिए उन्हें ये मौका दिया है ताकि वो खेलते हुए क्रिकेट से सन्यास लें। ये आशंका और भी पुख्ता इसलिए हो जाती है क्योंकि ये तो सभी को
बांग्लादेश की पिच अमूमन धीमी होती है और बांग्लादेश  की टीम में लेफ्ट हैंडेड बल्लेबाजों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में हरभजन की गेंदबाजी वहां जरूर कारगर साबित हो सकती है। बात अगर उम्र की की जाए तो हरभजन अभी मात्र 34 साल के ही हैं। अगर बांग्लादेश में प्रदर्शन अच्छा रहा तो हरभजन में अभी लगभग चार साल का क्रिकेट बचा है। टर्मिनेटर के नाम से मशहूर हरभजन की टेस्ट में ये वापसी उनकी आखिरी वापसी भी हो सकती है। वहीं आईपीएल में उनके जोश और जुनून को देखते हुए नहीं लगता कि क्रिकेट की भूख उनमें कहीं से भी कम हुई हो। अब जब उनका चयन कर ही लिया गया है तो उम्मीद करूंगा की वे शानदार प्रदर्शन कर अपनी वासपी का जश्न मनाएं और भारत के लिए ज्यादा से ज्यादा विकेट लें।
चित्र गूगल से साभार
पता है कि हरभजन सिंह का चयन उनके प्रदर्शन के आधार पर नहीं हुआ है। बात अगर उनके प्रदर्शन की जाए तो हरभजन का इस साल घरेलू मैचों में प्रदर्शन साधारण ही रहा। वहीं अगर बात आईपीएल-8 की जाए तो इसमें हरभजन का प्रदर्शन जरूर संतोशजनक कहा जा सकता है। हरभजन ने आईपीएस के इस सत्र में 14 मैचों में 16 विकेट लिए । चयन का आधार अगर आईपीएल है तो हरभजन का चयन छोटे फॉर्मेट में होना चाहिए था न कि टेस्ट के लिए। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि हरभजन का चयन टेस्ट टीम के नए कैप्टन विराट कोहली के कहने पर हुआ है। क्योंकि कोहली हरभजन के अनुभव का फायदा उठाना चाहते हैं।