रविवार, 1 नवंबर 2015

नंबर तीन के शहन्शाह तो कोहली ही हैं

पिछले दिनों साउथ अफ्रीका और भारत के बीच खेले गए एकदिवसीय श्रृंखला के दौरान भारतीय खेमे में बल्ल्लेबाजी क्रम को लेकर काफी उहोपोह की स्थिति देखी गई। शुरुआती दो मैचों में नंबर तीन पर अजिंक्य रहाणे को कप्तान ने मौका दिया। रहाणे ने मौके को बखूबी भुनाया भी और लगातार दो अद्र्धशतक भी लगाए। लेकिन नंबर तीन से कोहली को नंबर चार पर खिलाने का टीम मैनेजमेंट की चारों ओर आलोचना भी हुई। इसके बाद तीसरे मौच से कोहली को वापस नबंर तीन पर खिलाया गया और  खराब फॉर्म से जूझ रहे कोहली ने ७७ रन की पारी खेलकर फॉर्म में वापसी के संकेत दिए। और चौथे मैच में जब टीम को जीत की सख्त आवश्यकता थी कोहली ने शानदार १३८ रन बनाए और टीम की जीत सुनिश्चित की। ऐसे में कोहली की इस पारी ने फिर साबित कर दिया कि नंब
र तीन पर उनसे बेहतर खिलाड़ी कोई और नहीं है। बात सिर्फ भारत की ही नहीं वरन पूरे वल्र्ड क्रिकेट की भी की जाए तो एकदिवसीय क्रिकेट इतिहास में नंबर तीन पर कोहली से बेहतर न कोई है और न था। ये मै नहीं खुद कोहली का क्रिकेट कह रहा है। आंकड़े की खुद गवाही दे रहे हैं।
वनडे क्रिकेट में नंबर तीन पर खेलने वाले चोटी के तीन खिलाडिय़ों की बात की जाए तो इसमें रिकी पोंटिंग, कुमार संगाकारा और विराट कोहली हैं। वहीं अगर तीनों खिलाडिय़ों के बीच तुलना की जाए तो कोहली अन्य दोनों खिलाडिय़ों से काफी आगे हैं।  नजर डालते हैं नंबर तीन पर खेलते हुए तीनों खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर-

विराट कोहली
मैच- १०८
रन-४७४२
शतक-१६
अर्धशतक -२४
एवरेज-५०.९८
स्ट्राइक रेट-९०.१०
हाईएस्ट स्कोर-१८३

रिकी पोंटिंग-
मैच- ३३५
रन-१२६६२
शतक-२९
अर्धशतक -७४
एवरेज-४२.४८
स्ट्राइक रेट-८०.७३
हाईएस्ट स्कोर-१६४

कुमार संगकारा
मैच- २४३
रन-९४४७
शतक-१८
अर्धशतक  -६६
एवरेज-४७.७१
स्ट्राइक रेट-८०.५०
हाईएस्ट स्कोर-१६९

बुधवार, 27 मई 2015

युवाओं के खेल में उम्रदराजों का बोलबाला

टी-20 को शुरू से ही युवाओं का खेल कहा जाता रहा है। जब इसकी शुरुआत हुई तो बहुत से सीनियर खिलाड़ियों ने किक्रेट के इस छोटे फॉर्मेट से किनारा कर लिया। 2007 में पहले टी-20 वर्ल्ड में भारतीय टीम से द्रविड़, तेंदुलकर, जहीर खान जैसे सीनियर प्लेयरों ने खेलने से ये कहते हुए मना कर दिया कि ये युवाओं का खेल है। टी-20 को बस युवाओं का ही खेल कहना हास्यास्पद लगता है। 2014के टी-20 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी टीम में ब्रेड हॉज और ब्रेड हॉग जैसे उम्रदराज खिलाड़ियों का चयन करके सबको चौंका दिया था। मतलब साफ है कि अनुभव और परिपक्वता क्रिकेट के हर फॉर्मेट में काम आता है।
अब बात करते हैं आईपीएल-8 का। इस बार के आईपीएल में जहां कई युवाओं ने बेहतरीन खेल दिखाया तो वहीं उम्रदराज खिलाड़ी भी किसी से पीछे नहीं रहे। आशीष नेहरा (35), ब्रेड हॉग (44), प्रवीण तांबे (43), वीरेंद्र सहवाग (36), माइकल हसी (39), जहीर खान (36), हरभजन सिंह (34), क्रिस गेल (35), इमरान ताहिर (36), अजहर महमूद (40) आदि को प्रमुख रुप से उम्रदराजों की श्रेणी में रखा जा सकता है। वहीं अगर इनके प्रदर्शन की बात की जाए तो जहां कुछ ने तो युवओं को पीछे छोड़ दिया तो कुछ कम मौके मिलने के बावजूद छाप छोड़ने में सफल रहे। इन  खिलाड़ियों में अगर सबसे ज्यादा किसी ने प्रभावित किया तो वो हैं आशीष नेहरा। नेहरा ने आईपीएल के सीजन-8 में 16 मैचों में 20.40 के एवरेज से 22 विकेट झटके। इस तरह सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में नेहरा चौथे स्थान पर रहें, इस दौरान उनका इकोनॉमी मात्र  7.24 रहा जो ऊपर के तीन गेंदबाजों से बेहतर रहा । वहीं आईपीएल के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी ब्रेड हॉग ने भले ही 6 मैच खेले हों लेकिन उनके प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया। 6 मैचों में 9 विकेट झटकने वाले हॉग ने चेन्नई के खिलाफ एक ही मैच में 29 रन देकर 4 विकेट लिया था। 6 मैचों में हॉग ने मात्र 6.85 के इकोनॉमी से रन खर्च किए। इस बार भी आईपीएल में सबसे छक्के उड़ाने वाले क्रिस गेल को भला कौन भूल सकता है। गेल में इस सीजन में 14 मैचों में 46 के एवरेज से 491 रन में जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ 117 रहा। इस दौरान गेल का स्ट्राइक रेट 147 के ऊपर का रहा जो किसी भी युवा खिलाड़ी को आश्चर्य में डाल सकता है। इसी तरह हरभजन सिंह का प्रदर्शन भी चौंकाने वाला रहा। हरभजन ने 15 मैचों में 24 के एवरेज से न सिर्फ 18 विकेट लिया बल्कि पंजाब के खिलाफ एक मैच में मात्र 19 गेंद में हाफ सेंचुरी भी लगाया । हरभजन के इसी प्रदर्शन को आधार मानकर उनकी भारतीय टेस्ट में वासपी भी हुई। इसी तरह माइकल हसी, वीरेंद्र सहवाग, प्रवीण तांबे, जहर खान ने अपनी टीम के लिए कई बार उपयोगी भूमिका अदा की और अपनी टीम के लिए कारगर साबित हुए।

रविवार, 24 मई 2015

टर्मिनेटर की वापसी विदाई के लिए तो नहीं !

लगभग दो साल से बाहर चल रहे कभी भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑफ़ स्पिनर कहे जाने वाले हरभजन सिंह की वापसी आखिरकार भारतीय टीम में हो ही गई। बांग्लादेश जाने वाली टेस्ट टीम के लिए इनका चयन किया गया है। हां ये बात और है कि इसका अंदाजा शायद ही किसी को रहा हो। कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि बीसीसीआई ने उनकी विदाई के लिए उन्हें ये मौका दिया है ताकि वो खेलते हुए क्रिकेट से सन्यास लें। ये आशंका और भी पुख्ता इसलिए हो जाती है क्योंकि ये तो सभी को
बांग्लादेश की पिच अमूमन धीमी होती है और बांग्लादेश  की टीम में लेफ्ट हैंडेड बल्लेबाजों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में हरभजन की गेंदबाजी वहां जरूर कारगर साबित हो सकती है। बात अगर उम्र की की जाए तो हरभजन अभी मात्र 34 साल के ही हैं। अगर बांग्लादेश में प्रदर्शन अच्छा रहा तो हरभजन में अभी लगभग चार साल का क्रिकेट बचा है। टर्मिनेटर के नाम से मशहूर हरभजन की टेस्ट में ये वापसी उनकी आखिरी वापसी भी हो सकती है। वहीं आईपीएल में उनके जोश और जुनून को देखते हुए नहीं लगता कि क्रिकेट की भूख उनमें कहीं से भी कम हुई हो। अब जब उनका चयन कर ही लिया गया है तो उम्मीद करूंगा की वे शानदार प्रदर्शन कर अपनी वासपी का जश्न मनाएं और भारत के लिए ज्यादा से ज्यादा विकेट लें।
चित्र गूगल से साभार
पता है कि हरभजन सिंह का चयन उनके प्रदर्शन के आधार पर नहीं हुआ है। बात अगर उनके प्रदर्शन की जाए तो हरभजन का इस साल घरेलू मैचों में प्रदर्शन साधारण ही रहा। वहीं अगर बात आईपीएल-8 की जाए तो इसमें हरभजन का प्रदर्शन जरूर संतोशजनक कहा जा सकता है। हरभजन ने आईपीएस के इस सत्र में 14 मैचों में 16 विकेट लिए । चयन का आधार अगर आईपीएल है तो हरभजन का चयन छोटे फॉर्मेट में होना चाहिए था न कि टेस्ट के लिए। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि हरभजन का चयन टेस्ट टीम के नए कैप्टन विराट कोहली के कहने पर हुआ है। क्योंकि कोहली हरभजन के अनुभव का फायदा उठाना चाहते हैं।